Monday 10 April 2017

538--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

तेरहवां अध्याय 
Chapter 13*

(_Detach from Maya & attach to Divine_)
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश केengineers and technocrats नाम ; इतना जोखिम और परेशानी के मध्य अप नी महनत परिश्रम के प्रतिफल केवल अनगिनत प्रोजेक्ट्स को पूरर्ण करते रहते है,बल्कि ,हम उनकी सेवाओ से प्रेरित गौरवान्वित भी होते हैं)


हाथ बड़ेंहैंउसके ,
सब तक पहुँच है उसकी,
 तय सीमा से आगे,
 चले भला किसकी
13/43
विषय भोग वो सब जाने ,
इन्द्रीय विकार रहित हैं वो,
पालक पोषक सबका है ,
नहीं किसी पे आश्रित वो
13/44
निर्गुण परमबृद्म है, पार्थ
 फिर भी सारे गुण हैं ,उसमें ,
जो जैसा सोचे ,
रूप देखता है उसमें
13/45
गुण भी भोगे ,पार्थ ,
सोच हमारी चलती ,
हरज्ञान से परे है वो ,
आगे (उसके) किसकी चलती
13/46
चर अचर जगत में ,
पूर्णता उसमें निहित है
सब भूतों के बाहर -भीतर
उसमें सब निहित हैं
13/47
अविज्ञेय ,अति समीप ,
दूर भी वो रहता है
अज्ञानी क्या सम झे उसको
मूर्ख जैसी बातें करता है
13/48
काम भी उसका ,जीवन उसका
ध्ररा बनी है ए्क परीक्षा
हस्तक्षेप ना वो करता है
रहस्य यही :उसकी इच्छा
13/49

शेष कल


मेरी विनती

कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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