रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाएं सभी दोस्तों, मित्रों ,रिश्तेदारों ,मिलने जुलने वालों और भारत वासियों को!
Poem (C A/44/1981)
शंमा प्यार की आज बधीं है
घर से बाहर निकलो तुम
आंख में आंसू क्यों लाते हो ?
दुनिया में क्या कम है गम
आज फिंजाएं भी कहती हैं
दुख के बादल दूर गए
जीवन है जीने के लिए
क्यों नहीं समझते इसको तुम
दुनिया में क्या कम है गम-----1
अपना रोना ,अपना खोना
जज्बातों में जीवन जीना
चैन भी छीना ,मुश्किल जीना
घूंट जहर का पीते रहना
काम चलेगा इस से क्या ?
तूफानों में खो जाओगे !
खुद को जानो ,खुद को समझो !
फर्क नहीं ;कर ले चाहे कोई सितम
दुनिया में क्या कम है गम-----2
प्यार से बीते अपनी जिंदगी
किस से क्या लेना और देना ?
प्यार बांटते हमको चलना
बात प्यार से अपनी कहना
नजदीक हमारे जो रहते हैं
अच्छा बुरा वही कहते हैं
प्यार से सुनना ,अपनी कहना
हम भी बढ़ाएं एक कदम
दुनिया में क्या गम है गम---3
(अर्चना व राज)
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