Thursday, 14 September 2017

676- हमको धोखा! Poems (C A/39/1976)HINDI


एक बार आपस में ग्वाल-बाल लड़ रहे थे ,उनमें क्या बातें हो रही थी जरा सुनें हम भी जय श्री कृष्ण भला हो सबका
कहां है वो माखन चुरा के
मन बहला के
दिया है हमको धोखा!
यहां बुला के
हमें समझा के
 कौन है वो
जिसने सब को रोका
अरे दिया है हमको धोखा !1
चंचल -चंचल नैना जिसके
काले -काले बाल हैं उसके
 मीठी-मीठी बातें उस की
बात को काटे हिम्मत किसकी
कभी इधर है
कभी उधर है
बार-बार हमने तो देखा
 क्यों देता वो हमको धोखा!2
बातें बनाना ,हंसना-हंसाना

आदत उसकी हमें सताना
 किस की कहना
 किससे सुनना
बात समझ ना आती है
पासा देखो ,ऐसा फेंका
क्यों देता वो हमको धोखा!3
अरे !छोड़ो सारी चिंता अब तो
कान्हा आया देखो अब तो
कभी दुख दुखी वो करता है
हम पर इतना मरता है
याद करो वो पल भी तो
हंसते-हंसते हमें बचाया
कभी ना उसने हमको रुलाया
नहीं मिलेगा दोस्त हमारा
कान्हा जैसा!4
अरे !नहीं कभी वो देता धोखा
(अर्चना व राज)


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