कविता सं०---00131---दोस्त और दोस्त के स्तर के बारे में क्या सोचते हैं ?
सभी
मित्रों
को समर्पित
दोस्ती
तो दोस्ती है-
दो दिलों को जोडती है,
नफरतों की दीवारें तोडती है
ऊपर ना कुछ है इससे,
हर जगह छाती है
टूटे मनों को मिलाती है
अनुभव अनुपम है
प्रेम का मौसम है
शमा बांधती है
गमेां को हटाती है
अजीब इम्तहान है,
जीवन का ज्ञान है,
बन्दूकें थम जातीं हैं,
मुस्कानें लाती हैं,
आंसू गुम हो जाते हैं,
शब्द चुप हो जाते हैं,
जवान सहज चलती है
मिठास ही मिठास भरती हैII
दोस्ती
तो दोस्ती है-002----
बांटता
हूँ ,छांटता हूँ,
लड़ता
हूँ ,झगड़ता हूँ,
पूछता
हूँ ,करता हूँ,
मानता
हूँ, जानता हूँ,
सुनता
हूँ ,मिलता हूँ,
झिड़कता
हूँ, हंसता हूँ
वाह! मन हल्का करती है
जीवन
भर चलती है
(अर्चना व राज)
बाकी आगे-------
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