आत्मा ,अजर ,अमर
न कभी ये मरती है,
इसका काम खत्म होता,
नवजीवन धारण करती है
2/60
कर्म करो ,बस कर्म करो,
फल की इच्छा कभी न करना,
जैसा तेरा कर्म होगा , अर्जुन
अनुरूप उसी के सबकुछ मिलना
2/61
पाक साफ दिल से रहना ,
धर्म की खातिर आगे बढ़ना,
मिटेगा अधर्म ; होगा अर्जुन
प्रकाश पुञ्ज से जगत का खिलना
2/62
कर्म का मिला अधिकार ,(तुझे ) ,
कर्म स्वयं ही करना है,
जैसे तेरे कर्म होगें , अर्जुन
अनुरूप उन्ही के भरना है,
2/63
देखो भीष्म पितामह को,
वचनबद्धता बनी कमजोरी ,
सिद्धान्त प्रिय हैं व्यक्ति महान,
चली ना इन की सीनाजोरी
2/64
द्रुयोंधन जैसा योद्धा बलशाली ,
शातिर दिमाग उसका चलता ,
कटु वचन उनसे कहता ,
नहीं किसी की चलने देता
I2/65
अर्जुन सबसे प्रिय हो तुम ,
असहाय हैरान हैं पितामह ,
नहीं चाहते युद्ध वे बिल्कुल,
ये होता बोलो किसकी शह
2/66
शिक्षा जिनसे तुमने पाई ,
प्यार से तुम्हें सिखलाया ,
आज उन्हीं हाथों में देखो,
विरुद्ध तुम्हारे तरकश आयाI
2/67
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
शेष कल
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