Sunday, 9 July 2017

622-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय 
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन केवल ज्ञानवान समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)



18/186
“बात तुम्हारी सच है ,संजय
 बेबस हूं मैं कर क्या सकता
 दुर्योधन क्रोधी है गुस्से वाला
बात न मेरी सुनता
18/187
जो होना है होने दो
 रोक भला अब कौन पाएगा
 जो होगा ,होने दो
सब कुछ देखा जायेगा”
18/188
किस्मत के आगे ,संजय
किसकी भला चलती है
वो होकर रहता है
यही तो दुनिया कहती है
18/189
कभी-कभी हम यह देखें
बुरा होने वाला है
हम करें प्रयास ; रुक जाए
 पर जो है वो घटने वाला है
18/190
जीत-हार,हार-जीत,जीत-जीत,हार-हार
इसी में दुनिया उलझी है
 जो होना है हो जाता है
किसने नीति- नियत को समझी है
18/191
अध्याय समाप्त

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पहली बार पढ़े गीता
धन्य हुए कृपा मिली
कल्याण जगत का हो ,भगवन
 किस्मत अपनी भी खुली
18/001
कृपा बनाए रखना ,प्रभु
 अज्ञान साथ में रहता है
दुनिया का ये सफर सुहाना
 कटे प्रेम से ;मन में बसता है
18/002
 धन्य साथ में ;अपने भी
मित्र पढ़े  और साथ चले
कृपा बरसते रखना उन  पे
 सौभाग्य हमारा; साथ मिले
18/003
 कभी किसी को दुख ना देना
आप कृपा का हाथ ऊपर रखना
 सुख की गंगा बहे अविरल
 यही गुजारिश तुमसे कहना
XXXXXXXXXXXXXXXXXX
सभी साथियों, मित्रों ,छात्रों ,
बच्चों को बहुत -2धन्यवाद ,
इस पुनीत कार्य को पूरा करने में,
हौसला अफजाई के लिए,
पढ़ने में साथ देने के लिए;
सचमुच यह बडा एवं पुनीत कार्य था ,
Thanks to Google and Facebook
For giving me the space
अन्त में बाबा गोरखनाथ व
श्रीकृष्णा के लिए
शब्द माध्यम मेरे दारा बने
अंग्रेजी कविता में भी पूर्ण
 करने की शक्ति देना
जय श्री कृष्णा
                                XXXXXXXXXXXXXXXXXX



मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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