Monday 3 July 2017

617--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय 
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन केवल ज्ञानवान समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)


खून खराबा कौन चाहता ?
शांति से है जीवन चलता
जहां शांति  प्रेम ,मोहब्बत
सुकून भरा है जीवन मिलता
18/146
जिद्दी हठधर्मी दुर्योधन !,
जमीन का है झगड़ा लाता
इसे समझा लो  ,उसे मना लो
खून बहे ;आनंद वो पाता
18/147
एक सोच के नहीं है जन !
अवगुणों के भंडार भी जाने
मृत्यु जानते हैं निश्चित
सत्य बात अपनी ही माने
18/148
 लालच ,लोभ, मोह, ताकत
आगे बढ़ने की होड़ लगी
सभी जहां मैं आगे -पीछे
अपनी दौलत लगती  सगी
18/149
 भूखे प्यासे लोग जहां में
कष्ट भरा है जीवन पाते
कभी भूख बुझा ना पाते
भूखे प्यासे ही सो जाते
18/150
 अत्याचार बढ़ें ,खूनखराबा जब होता
उसे रोकना भी जरूरी
आशा; योद्धा तेरे जैसे
नहीं सामने कोई मजबूरी
18/151
पापी, अत्याचारी, देखो ,पार्थ!
 निम्न विषय से चलते हैं
भ्रम फैलाते भगवान नाम से
भगवान कभी ना मिलते हैं
18/152
वह तो दूर जगत का स्वामी है
खेल अनोखा  नित्य-प्रति देखें
मारकाट आपस की है ,
भला ,इसे अब कौन समझे?


शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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