आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
अर्जुन संभले , साथ -धीर के बोले
मोहभंग करी
है वाणी तेरी
स्मृति मैंने प्राप्त करी है, प्रभु
चक्षु खोल दी वाणी तेरी
18/170
मन में शंका
चली गई
डर ना मेरे
मन में व्याप्त
तुम ने कितना
समझाया
ज्ञान भरा
भंडार पर्याप्त
18/171
जैसी आज्ञा
मुझको मिलती
पालन अब करना है
धरा सुरक्षित रक्षित करनी
अब मुझको ना डरना है
18/172
ध्यान हटा संजय बोले
कृष्ण अर्जुन
संवाद सुना
अद्भुत रहस्य भरा रोमांचक
सारा मैंने इसे सुना
18/173
दिव्य दृष्टि मिली है मुझको
कृपा व्यास
की साथ चली
योगेश्वर भगवान
श्री कृष्ण
कृपा मुझे है अब मिली
18/174
प्रत्यक्ष सामने संवाद चला
रहस्य भरी
थी बातें सारी
अर्जुन भ्रमित
चकित था ,देखो
शक्ति जागृत अब उसकी सारी
18/175
राजन ,रोमांचित
होता हूं मैं
बार-बार यह
दृश्य सामने आता
रहस्य युक्त कल्याण कारी
मन हर्षित
मेरा हो जाता
18/176
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment