आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
हे भरतवंशी! क्या अच्छा ,क्या बुरा,
शरण में
तू ईश्वर की जा
वही तेरा कल्याण करेगा
कृपा भी तू उसकी पा
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प्राप्त करेगा
परम शांति
परमतत्व ही
मार्ग प्रशस्त करें
जो भी तेरी
चिंता फिक्र
उसकी कृपा
तुझे आश्वस्त करें
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परम शांति
व परमधाम
जो शरण में
जाता पाता है
चंद दिनों
की माया जगत में
सत्य ज्ञान
वह जानता है
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परम ज्ञान भी मैंने सुन
साथतेरे बांट
लिया
जैसा तुझको
समझ में आए
तुझ पर मैंने
छोड़ दिया
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मन तेरा जो
कहता है
तुझको कब लेना
निर्णय
साथ सत्य के
खड़ा रहेगा
या झूठ के
साथ रहेगा निर्णय
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कहना तुझसे परम धर्म है
शिष्य मेरा
तू प्यारा है
जगत में अनुपम
तू विलक्षण
यहां तू सब
से न्यारा है
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रहस्य भरी
मेरी बातें
तुझको मैंने
बता दिया
हितकारी वचन
भी मैंने
साथ तेरे बांट
लिया
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ध्यान लगा तू मुझ में अपना
प्रणाम भी
तू मुझको कर
जीवन तेरा धन्य रहेगा
नहीं किसी
से कभी तू डर
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शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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