Saturday 8 July 2017

621---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ18वां अध्याय 
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8
वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन केवल ज्ञानवान समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)

हर्ष भरा है मेरा मन,राजन
सौभाग्य मिला है सुना हूं इसको
बार-बार वह दृश्य सामने
आश्चर्य देता है  मुझको
18/177
मत मेरा  मान लो, राजन
 अर्जुन ,कृष्णा जहां भी रहते
विजय श्री ,विभूति और नीति अचल
 सत जहां में वहीं पे बसते
18/178
वक्त अभी है तेरे पास
राजन ,युद्ध न होने पाए
नहीं बचेगा कोई अब
बात समझ में (तेरी) क्यों ना आए
18/179
 कमजोर नहीं हो ,राजन तुम
बात में तेरी दम है
क्या मिलेगा बाद में सोचो
दुनिया में बस गम ही गम है
18/180
“आशा नहीं है जिंदगी
आसान इसे बनाना है
हर मोड़ पर खतरे मिलते हैं
दूर हमें हटाना है
बर्दाश्त की सीमा भी होती है
नजरअंदाज भी करना होता है
 कुछ लोग जहां में ऐसे मिलते
लड़ना उनसे पड़ता है
बातें उनकी तीखीं है
घाव भी गहरा करती हैं
चुप रह कर सोचो तो ,
 कब तक इनको सहना है
उन्हें बताएं यही समझाएं
दूरी नहीं बढ़ाना है
अति की सीमा पार जब होती
सब कुछ करना भी जरूरी
चुप रहने से बात बिगड़ती
बीच ना आए तब मजबूरी
प्यार मोहब्बत की बातें
 सब से मिलकर हम करें
शिकवा ,शिकायत और दूरी
 मिल के इन को दूर करें
दिल से दिल को मिलाएं
जीवन प्यार से जीना है
भ्रम ना पालें, प्यार करें
यही तुम्हें बताना है

राजन ,सबको यह समझाना है”
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो
जायेगा

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