आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
वचन मेरा है
सत्य, अर्जुन
मुझको प्राप्त
करेगा तू
जीवन जी औरों
के लिए
नजीर बनेगा सबका तू
18/162
गीता शास्त्र
मैंने ,पार्थ
तेरे सामने
बोल दिया
रहस्य धरा
पर जो कायम
तेरे सामने
खोल दिया
18/163
जिसने वाचा इसी शास्त्र को
लोगों को बतलाया
उससे बढ़कर
मेरे लिए क्या
प्रिय मेरा
वो बन पाया
18/164
धरा पर मेरा प्रिय वो!
समय भी उसके साथ रहेगा
कर्णप्रिय बनता है जिसकी
उसका भी उद्धार करेगा
18/165
ज्ञान यज्ञ
का फल भी उसको
आएगा, पाएगा
उसकी झोली
प्राप्त करेगा
परमतत्व वो
खुशियां ना चे उसकी बोली
18/166
श्रद्धा भाव से जो है सुनता
दोष दृष्टि
से रहता दूर
श्रवण करेगा इसको जो
श्रेष्ठ लोक ना रहेगा दूर
18/167
पापों से मुक्ति
पाता
उत्तम कर्म
साथ चले
साथ रहेगा ना उस के कोई
उसको मेरी कृपा मिले
18/168
ना सुना है
तुमने पहले ,पार्थ
मुझको अब बतला
दो
नष्ट हुआ क्या
अज्ञान ,मोह-माया
पहले तुम बतला
दो
18/169
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment