आज का गीता जीवन पथ
18वां अध्याय
*Chapter 18*
_Let Go, Lets move to union with God_
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(1 8 वां अध्याय समर्पित है सभी शिक्षकों के नाम; जिनकी मेहनत से देश-विदेश में बच्चों का जीवन न केवल ज्ञानवान व समृद्धशाली बनता है बल्कि स्वयं को मोमबत्ती की तरह जला कर देश- विदेश में उजाला करते हैं , जिनके लिए समाज कृतज्ञ रहता है अतः हम सबको और भी परिश्रम कर देश का नाम रोशन करना चाहिए. गीता पाठ से स्पष्ट है कि जीवन में ;अंत में कुछ भी नहीं)
अंधकार यदि साथ चला
बुद्धि तेरी अल्प रहेगी
निर्णय तू ना ले पाएगा
नष्ट भ्रष्ट हो जाएगी
18/123
अहंकार वश कहता है तू
नहीं युद्ध में तू लड़ेगा
दिल के अंदर ज्वाला धधके
भला कौन ? विवस तुझे करेगा
18/124
इतना जान लो तुम ,पार्थ !
जो ना ना कह के करते काम
वही तोड़ते संकल्प भी अपना
जीते जीवन लेके झूठा नाम
18/25
मिथ्या है संकल्प तुम्हारा
दृढ़ निश्चय तुम कर ना पाते
युद्ध में यही मुश्किल होगा
भ्रम भी अपना तोड़ न पाते
18/126
मोह के कारण ,निर्णय अनिश्चित
निर्णय तू ले ना पाता
पूर्व -कृत स्वाभाविक कर्म है तेरा
लड़ना तेरे करम से आता
18/127
जगत के स्वामी अंतर्यामी !
कर्म बंधन में बांध के रखता
हृदय की धड़कन उससे चलती
फल भी कर्म का हमको मिलता
18/128
याद रखो तुम इस दुनिया में
कर्म का भ्रमण उससे है
जो वह चाहे !वही करेगा
जगत की माया उससे है
18/129
शरीर तुम्हारा यांत्रिक है
काम बहुतेरे स्वयं भी करता
मन-इच्छा सदा बलवती
अर्जुन इसको क्यों ?नहीं समझता
130
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment