Saturday, 19 December 2015

0290---Change the Law and Hang the Culprit

Change the Law and Hang the Culprit

17 साल के अपराधी ने उस रात जब उस बेबस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसके अंदर मोटी लोहे की छड़ घुसेड़ कर उसे घुमाया था, तब उसका पूरा गर्भाशय बाहर आ गया था. अगली सुबह दिल्ली पुलिस जब उस चार्टर्ड बस की जाँच कर रही थी तो उसकी ज़िम्मेदारियों में सबूत के तौर पर उस ख़ून-आलूदा रॉड के साथ-साथ निर्भया का गर्भाशय ढूंढ कर अपनी पॉलीथिन में रखना भी शामिल था.
उस कथित नाबालिग़ अपराधी को उसके कारनामे को भूल कर आजादी देने जा रही है हमारी सरकार
कुछ बोलो भाइयो। जिनके बहन बेटियां हैं, और जिनके पास कांपने के लिए कोई रूह जैसी चीज़ बाक़ी है... अभी तक! वो कहाँ जाएँ।

यह कैसा कानून है????


यह कैसा कानून है????
फांसी के हकदार को रिहाई?????
क्या 17 साल कुछ दिन का कोई व्यक्ति 18 साल 1 दिन आयु वाले व्यक्ति की तुलना में इतना ज्यादा मासूम होता है कि वह कैसा भी घिनौना अपराध कर दे लोगों को उसकी अंधेरगर्दी के आगे आँखें झुकाते हुए खून का घूँट पीकर जीना पड़ेगा??
फांसी दो फांसी????

While I was reading,what this so called boy is going to be set free,it will be a slap on our system.Whatever it may be,the crime is heinous and this man,not boy must remain behind bars,otherwise it appears from the unlimited rage and anger on the part of the public that he be hanged giving an edge to the so-called Tolerant to be on the front line of the news .If developed democracy like USA may hang the culprits of this nature ,than why we lag behind ?Put him behind bars and let him suffer or nothing ,but the mockery of Nirbhaya died untimely shall be before us---Special ordinance may be promulgated ,but needs to be punished.

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