पुरस्कार (लौट + आना )
हाय ! रब्बा इसी बहाने जाने जाते !
अरे भईये
काश! हम भी चमचा होते ,
बिना पढ़े हम पास होते,
पुरूस्कार की राह ना देखते,
आशा प्रत्याशा में लिखते ,
वो तो घर पे चल के आता,
पढ़ने से ना होता नाता,
लिखना रहता दूर की बात,
पांव पसारे कटती रात,
आते जाते चेहरा दिखाते,
भईया चच्चा कहते रहते
काश! हम भी चमचा होते ,
हाय ! रब्बा इसी बहाने जाने जाते !----1----
टीवी दिखाता नई बहस,
सब को डुबाते, लेते रस,
ऐसे चेहरे नाम सुने ना,
काम को उनके जाने ना,
लिखी किताब भी पाता ना,
कश्यप ! भारत पैदा ना ,
नाम रहा जेहन से दूर ,
किया नहीं कोई मजबूर,
सुन-2 के हमने जाना ,
चेहरा पहली बार पहचाना,
गंगा बहती उत्तर भारत,
हम बोलेगें पश्चिम भारत,
टीवी वाले आयेंगे ,
हम को खूब पढ़ायेगे,
ये बयान तो नई खोज,
नाम देखेगें अपना रोज ,
जनता जब गरियायेगी,
सहनशीलता जायेगी,
मोदी जी चुप क्यों ?,
हमरी इज्जत जाये क्यों,
कर के उल्टे-2 काम,
होता अपना खूब नाम ,
चमचा बन के भाग्य चमकाते
हाय ! रब्बा इसी बहाने जाने जाते !2------!
( अर्चना & राज)
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