Sunday 11 September 2016

0373---The Gita Path



तृतीय अध्याय समर्पित है 
ऊन सभी मित्रों के लिए जो अपनी मीठी यादें छोड़ कर इस जहां से अपने अनजान शहर को जा चुके हैं
(This 3rd chapter is dedicated to the sweet remembrance of Mainly My Mom, died of cancer,My maternal uncle by cardiac arrest,My cousin and friend who died in accidents,Wherever they are Lord Krishna shall bless and grace them with love,affection,blessings and the salvation) 
हे माधव ! ज्ञान श्रेष्ठ पुरुष यहां,
कर्म से बढ़कर माना है ,
गंभीर कर्म में ना लगना ,
जब फल भयंकर जाना है
(3/1)
शब्दों का खेल मेल है, हे माधव!,
बुद्धि को मोह लेता है
सुस्पष्ट मार्ग दर्शाओ , हे भगवन!,
जो कल्याण प्राप्त कर देता है 
(3/2)
सांख्य योग की निष्ठा,
ज्ञान योग में निहित है ,
योगी समझे कर्मयोग ,
निष्ठा इससे संचित है
(3/3)
ज्ञान योग वर्णित है पहले,
आसक्तिहीन है जो ,
फलेच्छा ना भ्रमित करती ,
लक्ष्य परम तत्व रखते है जो
(3/4)
आश्चर्य कर्म मौजूद यहां ,
मनुष्य को करने पड़ते हैं ,
अकर्म बने निष्कर्मता ,
फल दूर sada ही रहते हैं 
(3/5)
कभी समय ना ऐसा आया ,
मानव रहा कर्म से दूर ,
स्वभाव जनित है कर्म में लीन,
करता कोई ना इनसे दूर 
,(3/6)
दम्भी मिथ्याचारी है वे ,
ऊपर से रहते हैं दूर ,
मन में बसी वासना अनगिनत,
जाते कभी ना इनसे दूर
(3/7) 
श्रेष्ठ है वे पुरुष महान ,
                                         अनसक्त है इंद्रिय प्रभाव,
तन मन सोच से रखते दूर,
कर्म योग का ना रहे अभाव,


3/8
कर्मों का ताना बाना,
अजीब प्रकृति की देन,
इंसान बधा है इनसे,
ऐसे खुलती बनधती (अद्भुत) चेन,
3/9
कर्म का आरम्भ ,
कर्म, का त्याग,
संशय निहित है इनमें,
किसका करें परित्याग,
3/10
क्या सम्भव है कर्मों से,
जनमानस समझ पाया,
प्रभु तत्व में लीन है जो,
समझे उसकी अनुपम माया,
3/11
मानव कर्म करे सदा,
यहीधरा का नियम ,बना
शक्ति बाध्य करें उसको ,\
लिप्त कर्म में रहना ,
3/12
सात्विक शास्त्रविहित,तू कर्म कर
कर्म करना श्रेयस्करहै 
दूर, कर्म से जाना 
तुमको मुश्किल दुष्कर है 
3/13
यज्ञ निमित्त कर्म है पावन
जन समुदाय कर्म में लीन
हे अर्जुन !यज्ञ निमित्त कर्म करो,
बनो ना तुम दीन हीन
3/14
सृष्टि रचेता  ब्रम्हा ने ,
यज्ञ संग प्रजा रच डाली ,
 यज्ञ बने वृद्धि का माध्यम 
,फल मिलते ना रहता खाली
(3/15)

   यज्ञ करो विधि विधान,
 उन्नत होंगे देश महान
 स्वार्थ भाव से दूर हटो 
,कल्याण करेगा यही जहांन
(Note-An article published by Shantikunj on Yagyna and its impact clearly relate the benefits and advantages based on scientific study.If found to me I will share it)

     (3/16)
शेष कल
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)

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