नट खट भतीजा म्युजिक सिखाया
(Hindi
Poem- kha/82/1593)
आज का हासपरिहास
मुँहलट काये
हम अकेले ,
घर में बैठे
उदास,
उम्र बीतती ,यादें बढ़ती,
और उम्रू ढ़ूढती आस ,
आया नट खट मेरा
भतीजा ,
लगा मुझे समझाने
,
“ नहीं उदासी
आ येगी, ताऊ ,
म्युजिक चलो
सीखने,”
पूछा हमने भारतीय
या पाश चात्य,
उसे टटोल के जाना,
हेमा ने 16 साल बिताये,
रेखा ने सालों में जाना ,
उम्र हमारी बढ़ती
जाये ,
मुश्किल होगा
भारतीय ,
योग करो व्यायाम
करो ,
और इसे बनाओ
आत्मीय,
कूदो, झूमो,मस्ती
में ,
इसी बहाने होगा
अभ्यास ,
मानों चाहे ना
मानो ,
आयेगा ताऊ तुमको
रास,”
सौ आने पक्की बात मान के,
राह पकड़ ली उसके साथ ,
पता नही क्या
बोलता ,दौड़ता ,
नहीं छोड़ा हमने
उसका हाथ,
मन में उमंग
दिल में जंग,
नियत जगह पे पहुंचे हम,
भीड़ थी जैसे
कोई मेला ,
निकल गया बस
अपना दम ,
जो जैसा सोचे
,
वो वैसा होता
है,
लोगों का कहना
,
साथ हमारे चलता
है,
हाल बड़ा -2 था
काफी शोर मचा
था ,
कुरसीं सारी
भरी पड़ी थी ,
मंच भी बड़ा
सजा-2 था,
इससे पहले समझे
हम,
जोर से बज रहे
ढोल और ड्रम ,
राग समझ ना आया
,
साथ आ गया अपने भ्रम ,
इसी बीच में
देखा ,
जैसे पकड़े कोई
लगाम,
तेज लगा घोड़ा
दौड़ा ,
जो बैठे सारे
गिरे घड़ाम ,
समझते इससे पहले
हम ,
एक सुन्दरी चिल्लाई
हिप-2 हुर्रे हाय,
सीटी बजी हाल
में इतनी ,
जैसे चलती गोली
करती टाय-2,
किसी की लात
त्रिकोण बनाती,
कोई समकोण पे रूकती,
कोई लेटा जैसे
उशठकोण,
नई अजब आकृति बनती ,
गाना था अंग्रेजी
में,
समझ किसी के ना आता ,
शब्द ढूंढते
,अर्थ निकाले,
फटी पतलून में
हीरो गाता,
कपड़ों की शोरटेज वहाँ थी,
यही है आधुनिकता का प्रचार ,
भला हो गरीब
को कपड़े दे दो,
खुशियाँ लायें उनका संसार,
कोई बोला “उरे
! ताऊ आया,
सुनके दिल अपना
घबराया ,
छोडके म्यूजिक
की महफिल ,
दौड़ के अपने
घर आया
अर्चना & राज
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