Wednesday, 7 September 2016

0370--नट खट भतीजा म्युजिक सिखाया (Hindi Poem- kha/82/1593)










नट खट भतीजा म्युजिक सिखाया
(Hindi Poem- kha/82/1593)
आज का हासपरिहास


मुँहलट काये हम अकेले ,
घर में बैठे उदास,
 उम्र बीतती ,यादें बढ़ती,
 और उम्रू ढ़ूढती आस ,
आया नट खट मेरा भतीजा ,
लगा मुझे समझाने ,
“ नहीं उदासी आ येगी, ताऊ ,
म्युजिक चलो सीखने,”
पूछा हमने भारतीय या पाश चात्य,
 उसे टटोल के जाना,
 हेमा ने 16 साल बिताये,
 रेखा ने सालों में जाना ,
उम्र हमारी बढ़ती जाये ,
मुश्किल होगा भारतीय ,
योग करो व्यायाम करो ,
और इसे बनाओ आत्मीय,
कूदो, झूमो,मस्ती में ,
इसी बहाने होगा अभ्यास ,
मानों चाहे ना मानो ,
आयेगा ताऊ तुमको रास,”
 सौ आने पक्‍की बात मान के,
 राह पकड़ ली उसके साथ ,
पता नही क्या बोलता ,दौड़ता ,
नहीं छोड़ा हमने उसका हाथ,
मन में उमंग दिल में जंग,
 नियत जगह पे पहुंचे हम,
भीड़ थी जैसे कोई मेला ,
निकल गया बस अपना दम ,
जो जैसा सोचे ,
वो वैसा होता है,
लोगों का कहना ,
साथ हमारे चलता है,
 हाल बड़ा -2 था
काफी शोर मचा था ,
कुरसीं सारी भरी पड़ी थी ,
मंच भी बड़ा सजा-2 था,
इससे पहले समझे हम,
जोर से बज रहे ढोल और ड्रम ,
राग समझ ना आया ,
 साथ आ गया अपने भ्रम ,
इसी बीच में देखा ,
जैसे पकड़े कोई लगाम,
तेज लगा घोड़ा दौड़ा ,
जो बैठे सारे गिरे घड़ाम ,
समझते इससे पहले हम ,
एक सुन्दरी चिल्लाई हिप-2 हुर्रे हाय,
सीटी बजी हाल में इतनी ,
जैसे चलती गोली करती टाय-2,
किसी की लात त्रिकोण बनाती,
 कोई समकोण पे रूकती,
कोई लेटा जैसे उशठकोण,
 नई अजब आकृति बनती ,
गाना था अंग्रेजी में,
 समझ किसी के ना आता ,
शब्द ढूंढते ,अर्थ निकाले,
फटी पतलून में हीरो गाता,
 कपड़ों की शोरटेज वहाँ थी,
 यही है आधुनिकता का प्रचार ,
भला हो गरीब को कपड़े दे दो,
 खुशियाँ लायें उनका संसार,
कोई बोला “उरे ! ताऊ आया,
सुनके दिल अपना घबराया ,
छोडके म्यूजिक की महफिल ,
दौड़ के अपने घर आया

अर्चना & राज

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