Friday, 28 August 2015

Srajan (E-Magazine): 000245----The Gita- Hindi Poem-Part-2

Srajan (E-Magazine): 000245----The Gita- Hindi Poem-Part-2: कौन हो तुम ! पार्थ,   क्या कभी स्वयं को समझा,   जीवन मिला है जीने को,   क्या यही अभी तक बूझा I24I   कर्त्ता नहीं...

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