आज विचार आया
कि 62000विचारों में से (scientist believe that an average mind generate 62000 thoughts in a day)एक विचार मै भी पकड़ लूं कि हमारे प्रधानमंत्री जी को बहुत सारे लोग फेकू फेकू कहते हैं और यह जानकर काफी खुशी हुई कि उन्होंने वास्तव में एक नहीं अच्छे अच्छों को उखाड़ फेंका ओैर विश्व में देश की साख ब्ढ़ाई
चलो ,आज चीन की बात करते हैं
भारत पर हुए चीनी आक्रमण के कुछ वर्षों के बाद की बात है| डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन गए थे और चीन के राष्ट्र प्रमुख माओत्सेतुंग से मिले| उन्होंने माओ को भारतीय दर्शन --- वेदांत और गीता आदि की अनेक अच्छी अच्छी बातें बताईं| माओ ने सब बातें बड़े ध्यान से सुनी और डा.राधाकृष्णन से दो प्रश्न किये ,
एक बात और कही जिसके बाद बड़े बडोंको अपनी वाणी से चुप करानेवाले राधाकृष्णन कुछ भी नही कह पाए |
माओ ने पहला प्रश्न किया कि १९४८ के भारत-पाक युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था फिर भी आधा कश्मीर पकिस्तान के कब्जे में क्यों है?
माओ का दूसरा प्रश्न था कि आप युद्ध में हम से पराजित क्यों हो गए? आपके आध्यात्म, दर्शन और धर्म की बड़ी बड़ी बातें किस काम आईं?
अंतिम बात माओ ने यह कही कि बहुत शीघ्र ही हम भारत से अक्साईचिन छीन लेंगे| आपमें हिम्मत है तो रोक कर दिखा देना| चीन ने वह भी कर के दिखा दिया क्योंकि हम बलहीन थे|
हिंदी की एक बहुत प्रसिद्द कविता की पंक्ति है -
"क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो|"
हमारी विश्व शांति की बड़ी बड़ी बातें, बड़े बड़े उपदेश और झूठा दिखावा सब व्यर्थ हैं यदि हम बलहीन हैं|
भारत पर यूनानी आकमण हुआ तब पौरुष से पराजित हुई यूनानी फौजें भाग खड़ी हुईं जब उन्हें पता चला कि मगध साम्राज्य की सेनाएं लड़ने आ रही हैं| फिर कई शताब्दियों तक किसी का साहस नहीं हुआ भारत की और आँख उठाकर देखने का|
बड़े-बड़े आक्रमण हम पर हुए| हम सिर कटाते रहे और 'अहिंसा परमोधर्म' का जप करते रहे| यह गलत धारणा भर दी गई कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रियों का काम है| यदि पूरा हिंदू समाज एक होकर मुकाबला करता तो किसी का साहस नहीं होता हिन्दुस्थान की ओर नज़र उठाकर देखने का|
समय के साथ हम अपनी मान्यताओं और सोच को नहीं बदल सके|
वर्तमान में हम फिर संकट में हैं| हमें सब तरह के भेदभाव मिटाकर एक होना होगा और शक्ति-साधना करनी होगी, तभी हम अपना अस्तित्व बचा पाएंगे|
अब मोदी युग आया है डॉकलाम मे चीन जैसे शक्तिशाली देश को पीछे हटना पड़ा और इतना ही नहीं , विश्वपटल में 20 देश भारत के साथ आ खड़े हुए जिससे चीन जैसे महा शक्तिशाली देश को न केवल शर्मिंदगी उठानी पड़ी, बल्कि यूनाइटेड नेशंस ने भी धमकाने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया यदि हम ऐसा नहीं करते तो आज चीनीमीडिया न कहता कि भारत में नेहरू नहीं मोदी प्रधानमंत्री है हमसे तिब्बत भी छीन लेगा और पाकिस्तान का यह कहना की कि जब चीन भारत से पीछे हट गया तो हमारी क्या औकात !
और पाकिस्तान को भी न केवल आतंकवादी देश घोषित करा दिया बल्कि उसके विरुद्ध भी बांग्लादेश अफगानिस्तान ईरान और भारत का एक गठजोड़ खड़ा कर दिया फिर भी लोग कहते हैं
हमारी सुरक्षा के मद्देनजर ये अच्छे दिन नहीं तो क्या है
समझ में बात नहीं आती
एक बात वास्तव में ध्यान देने योग्य है कि हम कहीं न कहीं देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता के मामले में चीन से पीछे हैं चीन खुलकर हमें इंडियन bastard कहता है और हम हैं कि चीनी सामान के लिए अपने दिलवा दरवाजे खोले हुए हैं Facebook ने काफी प्रयास किया लेकिन चीन में एंट्री नहीं मिली उन्होंने अपना ही Ren Ren.com डेवलप किया Gmail अपनी जगह नहीं बना पाया अमेज़न को कोई स्थान नहीं मिला है बल्कि अलीबाबा को उन्होने प्रोत्साहित किया है उनका व्यवसाय भारत के साथ लगभग 100 बिलियन डॉलर से अधिक है हम को 95% डेफिसिट घाटे का बजट उनके साथ व्यापार करने में मिलता है यहां निश्चित रूप से वह आगे है इस पर भी हमें सोचना होगा खासकर नेतृत्व को हमारे कुछ लीडर चीन के आक्रमण का समर्थन करते हैं कुछ चुपके से मिलते हैं और कुछ आपस में लोगों को लड़ादेते हैं इन सभी निसंदेह संकीर्ण भावनाओं दुर्भावनाओं से उठकर हम को आगे आना होगा तभी हम शिकस्त सभी को दे पाएंगे हर राष्टू में आज के दिन राष्ट्रवाद बड़ी तेजी से पनपा है
Note----
साथ ही
धर्मगुरुओं और आचार्यों से निवेदन है कि वे मोदी युग में समाज का मार्गदर्शन करें, अन्यथा ये दर्शन और आध्यात्म की बातें निराधार हो जायेंगी|
कि 62000विचारों में से (scientist believe that an average mind generate 62000 thoughts in a day)एक विचार मै भी पकड़ लूं कि हमारे प्रधानमंत्री जी को बहुत सारे लोग फेकू फेकू कहते हैं और यह जानकर काफी खुशी हुई कि उन्होंने वास्तव में एक नहीं अच्छे अच्छों को उखाड़ फेंका ओैर विश्व में देश की साख ब्ढ़ाई
चलो ,आज चीन की बात करते हैं
भारत पर हुए चीनी आक्रमण के कुछ वर्षों के बाद की बात है| डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन गए थे और चीन के राष्ट्र प्रमुख माओत्सेतुंग से मिले| उन्होंने माओ को भारतीय दर्शन --- वेदांत और गीता आदि की अनेक अच्छी अच्छी बातें बताईं| माओ ने सब बातें बड़े ध्यान से सुनी और डा.राधाकृष्णन से दो प्रश्न किये ,
एक बात और कही जिसके बाद बड़े बडोंको अपनी वाणी से चुप करानेवाले राधाकृष्णन कुछ भी नही कह पाए |
माओ ने पहला प्रश्न किया कि १९४८ के भारत-पाक युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था फिर भी आधा कश्मीर पकिस्तान के कब्जे में क्यों है?
माओ का दूसरा प्रश्न था कि आप युद्ध में हम से पराजित क्यों हो गए? आपके आध्यात्म, दर्शन और धर्म की बड़ी बड़ी बातें किस काम आईं?
अंतिम बात माओ ने यह कही कि बहुत शीघ्र ही हम भारत से अक्साईचिन छीन लेंगे| आपमें हिम्मत है तो रोक कर दिखा देना| चीन ने वह भी कर के दिखा दिया क्योंकि हम बलहीन थे|
हिंदी की एक बहुत प्रसिद्द कविता की पंक्ति है -
"क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो|"
हमारी विश्व शांति की बड़ी बड़ी बातें, बड़े बड़े उपदेश और झूठा दिखावा सब व्यर्थ हैं यदि हम बलहीन हैं|
भारत पर यूनानी आकमण हुआ तब पौरुष से पराजित हुई यूनानी फौजें भाग खड़ी हुईं जब उन्हें पता चला कि मगध साम्राज्य की सेनाएं लड़ने आ रही हैं| फिर कई शताब्दियों तक किसी का साहस नहीं हुआ भारत की और आँख उठाकर देखने का|
बड़े-बड़े आक्रमण हम पर हुए| हम सिर कटाते रहे और 'अहिंसा परमोधर्म' का जप करते रहे| यह गलत धारणा भर दी गई कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रियों का काम है| यदि पूरा हिंदू समाज एक होकर मुकाबला करता तो किसी का साहस नहीं होता हिन्दुस्थान की ओर नज़र उठाकर देखने का|
समय के साथ हम अपनी मान्यताओं और सोच को नहीं बदल सके|
वर्तमान में हम फिर संकट में हैं| हमें सब तरह के भेदभाव मिटाकर एक होना होगा और शक्ति-साधना करनी होगी, तभी हम अपना अस्तित्व बचा पाएंगे|
अब मोदी युग आया है डॉकलाम मे चीन जैसे शक्तिशाली देश को पीछे हटना पड़ा और इतना ही नहीं , विश्वपटल में 20 देश भारत के साथ आ खड़े हुए जिससे चीन जैसे महा शक्तिशाली देश को न केवल शर्मिंदगी उठानी पड़ी, बल्कि यूनाइटेड नेशंस ने भी धमकाने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया यदि हम ऐसा नहीं करते तो आज चीनीमीडिया न कहता कि भारत में नेहरू नहीं मोदी प्रधानमंत्री है हमसे तिब्बत भी छीन लेगा और पाकिस्तान का यह कहना की कि जब चीन भारत से पीछे हट गया तो हमारी क्या औकात !
और पाकिस्तान को भी न केवल आतंकवादी देश घोषित करा दिया बल्कि उसके विरुद्ध भी बांग्लादेश अफगानिस्तान ईरान और भारत का एक गठजोड़ खड़ा कर दिया फिर भी लोग कहते हैं
हमारी सुरक्षा के मद्देनजर ये अच्छे दिन नहीं तो क्या है
समझ में बात नहीं आती
एक बात वास्तव में ध्यान देने योग्य है कि हम कहीं न कहीं देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता के मामले में चीन से पीछे हैं चीन खुलकर हमें इंडियन bastard कहता है और हम हैं कि चीनी सामान के लिए अपने दिलवा दरवाजे खोले हुए हैं Facebook ने काफी प्रयास किया लेकिन चीन में एंट्री नहीं मिली उन्होंने अपना ही Ren Ren.com डेवलप किया Gmail अपनी जगह नहीं बना पाया अमेज़न को कोई स्थान नहीं मिला है बल्कि अलीबाबा को उन्होने प्रोत्साहित किया है उनका व्यवसाय भारत के साथ लगभग 100 बिलियन डॉलर से अधिक है हम को 95% डेफिसिट घाटे का बजट उनके साथ व्यापार करने में मिलता है यहां निश्चित रूप से वह आगे है इस पर भी हमें सोचना होगा खासकर नेतृत्व को हमारे कुछ लीडर चीन के आक्रमण का समर्थन करते हैं कुछ चुपके से मिलते हैं और कुछ आपस में लोगों को लड़ादेते हैं इन सभी निसंदेह संकीर्ण भावनाओं दुर्भावनाओं से उठकर हम को आगे आना होगा तभी हम शिकस्त सभी को दे पाएंगे हर राष्टू में आज के दिन राष्ट्रवाद बड़ी तेजी से पनपा है
Note----
साथ ही
धर्मगुरुओं और आचार्यों से निवेदन है कि वे मोदी युग में समाज का मार्गदर्शन करें, अन्यथा ये दर्शन और आध्यात्म की बातें निराधार हो जायेंगी|
धन्यवाद
Raj Archna
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