Monday, 17 October 2016

384----Aaj ka Gita Jeevan Path

महापुरुष इस विश्व में ,
जनता से रहता दूर ,
फर्क नहीं सोच में ,
कर्म करे या रहे वो दूर
(3/33)
समझो इस रहस्य को, अर्जुन !,,
नहीं बना मैं कर्मकार्य से ,
जो चाहूं मिल जाएगा,
 पर मै भी जीता.कर्मकार्य से
(3/34)
स्वार्थ भाव से काफी ऊपर,
 कर्मकरें या रहे दूर ,
लेना-देना नहीं बास्ता
महापुरुष रहता है दूर
(3/35)
आसक्ति पाल ना ,अर्जुन तू ,
कर्म का संपादन कर ,
परम तत्व से होता मिलन,
  सदा मोह  से रहता दूर ,
(3/36)
ज्ञानी  जानी , जनकादि
 कर्म दिलाया परम सिद्धि ,
 जनहित में तू कर्म कर
 तुझे संवा रे  तेरी बुद्धि
(3/37)
त्यागो मोह को अर्जुन तुम ,
जनहित का कल्याण करो
गांडीव उठा तू दिशा बदल,
 विश्व का तुम उद्धार करो,
(3/38)
 कर्म बना जरूरी सबको ,
इसको करना आवश्यक ,
जनहित है सर्वोपरि ,
वरना होगा मुझ पर शक
(3/39)
 जीवन उनका संकट में ,
विनाश धरा का होगा ,
संकीर्णता का प्रमाण मिले ना,

अलग कर्म  ना,मुझसे होगा.
शेष कल
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससेक्या लेनाक्या देना I
कृपा बनाये रखनाकृष्णा,      शरणागत बस अपनी लेना II
                                                      (अर्चना  राज)
नोटजो लोग जातिवाद कहते है हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से juड़ेI

कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद  खुद समाप्त हो जायेगा

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