Sunday 16 October 2016

383-Aaj Ka Gita Jeevan Path

समय स्थान लोक़  व्यवहार
इनकी अपनी अलग पहचान 
धरा पे जीना जीवन जरूरी 
कर्म से मिलती है पहचान 
(3/25)
रमण करें  जीवन में आत्मा 
जीता इसमें रहता 
संतुष्ट  रहे तृप्त रहे 
कर्तव्यपरायण वह रहता 
(3/26)
अर्जुन  समझो इस रहस्य को
 नहीं बधा मैं कर्मों से 
अप्राप्य नहीं तीनों लोकों में 
बरतता पाता मै कर्मों से
(3/27)

सावधान रहता हूं , अर्जुन ,
कर्म बरतता हानि बचाता ,
जानू जन की कमजोरी : ,
पीछे आता आगे बढ़ता
(3/28)
कर्म करूं ना बंधन तोड़ू,
मनुष्य कल्याण सामने
जनहित परम धर्म सबका ,
रहता अहित सदा थामने
(3/29)
जनता डूबी कर्म-कार्य में
जीवन को गति मिलती ,
कर्म जरूरी आवश्यक ,
सद्गति इससे उसको मिलती 
(3/30) 
नासमझ दुनिया में जो ,
कर्म करते जीवन यापन,
भ्रम की स्थिति दूर रहे ,
कर्म से होता जीवन पालन
(3/31)
परम तत्व में लीन पुरुष ,
कर्म करे जैसे अज्ञानी ,
कर्म चक्र बढता, जाए ,

मूल भाव समझे ज्ञानी
शेष कल
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा,      शरणागत बस अपनी लेना II
                                                      (अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते है हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से juड़ेI
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

No comments:

Post a Comment