समय स्थान लोक़ व्यवहार,
इनकी अपनी अलग पहचान
धरा पे जीना जीवन जरूरी
कर्म से मिलती है पहचान
(3/25)
रमण करें जीवन में आत्मा
जीता इसमें रहता
संतुष्ट रहे तृप्त रहे
कर्तव्यपरायण वह रहता
(3/26)
अर्जुन समझो इस रहस्य को
नहीं बधा मैं कर्मों से
अप्राप्य नहीं तीनों लोकों में
बरतता पाता मै कर्मों से
(3/27)
सावधान रहता हूं , अर्जुन ,
कर्म बरतता हानि बचाता ,
जानू जन की कमजोरी :
,
पीछे आता आगे बढ़ता
(3/28)
कर्म करूं ना बंधन तोड़ू,
मनुष्य कल्याण सामने
जनहित परम धर्म सबका ,
रहता अहित सदा थामने
(3/29)
जनता डूबी कर्म-कार्य में
जीवन को गति मिलती ,
कर्म जरूरी आवश्यक ,
सद्गति इससे उसको मिलती
(3/30)
नासमझ दुनिया में जो ,
कर्म करते जीवन यापन,
भ्रम की स्थिति दूर रहे ,
कर्म से होता जीवन पालन
(3/31)
परम तत्व में लीन पुरुष ,
कर्म करे जैसे अज्ञानी ,
कर्म चक्र बढता, जाए ,
मूल भाव समझे ज्ञानी
शेष कल
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते है हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से juड़ेI
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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