Friday 19 June 2020

806----षणयन्त्र -----5

षणयन्त्र -----5-------अभी हाल में लाखों मजदूर एकाएक बाहर आ गये अफवाहों का शिकार हुए ,सैकडो किमी पैदल चलना पड़ा, इस तरह की साजिश थी कि बृहदर स्तर पर कोरोना फैले और सैकडो लोगों को इस बीमारी का शिकार बनाया जाय, यह साजिशन थाI यथार्थवादी कविता के माध्यम से बेहतर प्रदर्शित किया जा सकता, आखिर हुआ क्या और देशद्रोहियों का मकसद क्या ?शुरुआती बेहतरीन पकड़ को धराशायी कर दियाI
(Hindi Poem/2058/20)
भुला न पाएंगे
याद करेंगे
और रोएंगे
बार-बार
यही कहेंगे
काली करतूत थी तेरी
समझ गये हम हेराफेरी
न कोई प्लानिंग न कोई सोच
छोड़ी जनता
समझ के बोझ
काम कागजी
ड्रामाबाजी
गद्दारों ने कसर न छोड़ी
राहें दुश्मन की पकड़ी------1
रोजी-रोटी छीन लिया था
खाने को कुछ नहीं दिया था
बातें लंबी चौड़ी
दिया न फूटी कौडी
रातों रात की बाजी
चल दिया था काजी
काम कागजी
ड्रामाबाजी
गद्दारों ने कसर न छोड़ी
राहें दुश्मन की पकड़ी------2
ये बला कहां से आई
देख के जनता पछताई
भूखे प्यासे चलते भाई
शरम जरा भी ना आई
लाक डाउन किये थे मोदी
हर पहलू को समझे मोदी
ये याद रहेंगी ताजी
अरे !दुश्मन की ड्रामा बाजी
काम कागजी
गद्दारों ने कसर न छोड़ी
राहें दुश्मन की पकड़ी------3
नमन है उन वीरो का
ध्यान रखा मजदूरों का
किसी ने बढके रोटी दी थी
किसी ने जमके सेवा की थी
डा० पुलिस प्रशासन साफ सफाई भाई
सेवा करते हरदम है
इस कोविडसे लड़ते दिन रात
भूलते अपने सारे गम हैं
सेवा तेरी याद करेगा
अपना देश हमेशा जी
अरे !दुश्मन की ड्रामा बाजी
काम कागजी
गद्दारों ने कसर न छोड़ी
राहें दुश्मन की पकड़ी------4
Raj.

No comments:

Post a Comment