आज का गीता जीवन पथ
चतुर्थ अध्याय
जय श्री कृष्णा.
(समर्पित है देश के वीर जवानों के नाम)
कहा कृष्ण ने अर्जुन से ,
देव सुने अबिनाशी-योग,
अपने पुत्र को बाचा उसने ,
इक्षवाकु बने वाहक- योग ,
4/1
चली परम्परा.पीढ़ी-दर ,
राज रिषि हुए लाभान्वित,
योग रहा लुप्तप्रायः कभी,
अब है धरा इस से गौरवान्वित ,
4/2
उत्तम सर्वोत्तम योग यहाँ ,
मित्र सुना तुमने मुझसे ,
जानो समझो इसी योग को ,
रहस्य छिपा है अब भी इसमें,
4/3
समझ न मेरे आता ,हे !भगवन ,
आज देखता तुम को मैं ,
सूर्य जन्म है युग बीते ,
कहा आपने समझू कैसे मैं ,
4/4
जीवन है जन्मों की कहानी ,
कल बीता है आज सामने ,
जानूं सबका हिसाब किताब ,
समझो इसका तुम मायने
4/5
माया मोह का है संसार,
सुना यहाँ ;कहते है सभी
योग माया आधीन है मेरे
चलती रूकती नहीं कभी
4/6
जब -2 धर्म की होगी हानि,
स्वयं को रचता इसे बचाने ,
साकार रूप मेरा होता है ,
कर्म करू ;मैं इसेबचाने
4/7
अधर्म की वृद्धि जब होती,
हाहाकार मच जाता है
इसे रोकना कर्म है उत्तम,
संकट विहीन सब हो जाता है
4/8
शेष कल
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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