अपना बनता सारा जहां
(Hindi Poem/AZ//03/2003)
दिल में जिसके समाये राम
वो प्रेम से जपता सीताराम
दुख-दर्दों सेमिले निजात
ये लाख टके की सुन लो बात
अरे !भटके राही जाते कहां ?
राम-नाम की लूट यहां-----1
प्यार जहां का हमको मिलता
प्रेम से जीवन सबका कटता
भेद-भाव न कर पाते
सबको चलते, अपना बनाते
प्रेम बरसता ,देखो! यहां
अरे !भटके राही जाते कहां ?
रामनाम की लूट यहां-----2
जरा पास तो आओ ना
दर्शन करके देखो, यहां
आंसू कभी ना गिरते हैं
काम भी बनते अपने हां
इसको बना लो
उसको सुना दो
अपना बनता सारा जहां
अरे भटके राही जाते कहां
रामनाम की लूट यहां-----3
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