1----- स्थाई सुख में जब व्यक्ति ब्रह्मानंद परमानंद की स्थिति में पहुंच जाता है तो उसे है जग मिथ्या लगता है और परम ब्रम्ह अनंत सुख देने वाला सबसे ऊपर होता है जिसकी प्राप्ति हेतु संत महात्मा निरंतर तहसील प्रयत्नशील रहते हैं
2---अस्थाई सुख -----व्यक्ति संसार में रहते हुए प्राप्त करने की कोशिश करता है यह मुख्यता तीन प्रकाr से प्राप्त किया जाता है पहला पदार्थ दूसरा कविता/गीत संगीत/ भावनाओं से तीसरा स्त्री पुरुष या जीव के संसंग्र से यह सुख हमको अस्थाई या अल्पकाल के लिए ही होता है लेकिन बार-बार इसका एहसास और आभास की अनुभूति जीवन में प्राप्त कराता है
जब शंकराचार्य से पूछा गया की अनंत सुख की प्राप्ति कैसे हो तो उन्होंने 6 माह का समय मांगा था उसी समय एक राजा की मृत्यु होती है और उनका आत्मा उस मृत शरीर में प्रवेश कर जाता है परकाया प्रवेश ;सभी लोग जानते हैं उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि जब तक वह वापस ना आए, उनकी शरीर की रक्षा की जाए जब राजा जीवित हो गए, खुशी की लहर दौड़ गई ,लेकिन कुछ दिन बाद रानी को एहसास हुआ कि राजा तो बिल्कुल बदल गए हैं उनके आv भाव सबकुछ में परिवर्तन हो गया है विद्वानों को बुलाया गया उनसे पूछा गया ,बहुत सारे लोगों ने उनकी कुंडली देखी और कहा कि राजा तो मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं उनके शरीर में किसी दूसरे की आत्मा प्रवेश कर गई है ,रानी को चिंता हुई उन्होंने बताया कि जब इस आत्मा का प्रयोजन पूर्ण हो जाएगा ,यह शरीर छोड़कर चली जाएगी ,सब से पूछा गया ,सब ने सलाह दी कि जितने भी शरीर जीवित अवस्था में मिले ,उन को नष्ट कर दिया जाए तब यह आत्मा अपना संपूर्ण कार्यकाल /समय इस मृत शरीर में पूर्ण करलेगीजब उनके शिष्यों ने यह बात सुनी सुनी, तो वह भजन वगैरह गाते हुए राजमहल पहुंचे और शंकराचार्य जी को बतायाI उन्होंने यही कहा कि सांसारिक सुख चाहे वह राजा का हो या एक सामान्य व्यक्ति का हो ,अल्पकाल के लिए ही होता है अतः हम अपनी जीवन यात्रा में सुख की अनुभूति करते चलें ,क्योंकि यह हमारी यात्रा अल्पकाल के लिए है IRaj Reflections
जयहिन्द
सभी को सुख और समृद्धि मिले
आज का दिन शुभ हो
2---अस्थाई सुख -----व्यक्ति संसार में रहते हुए प्राप्त करने की कोशिश करता है यह मुख्यता तीन प्रकाr से प्राप्त किया जाता है पहला पदार्थ दूसरा कविता/गीत संगीत/ भावनाओं से तीसरा स्त्री पुरुष या जीव के संसंग्र से यह सुख हमको अस्थाई या अल्पकाल के लिए ही होता है लेकिन बार-बार इसका एहसास और आभास की अनुभूति जीवन में प्राप्त कराता है
जब शंकराचार्य से पूछा गया की अनंत सुख की प्राप्ति कैसे हो तो उन्होंने 6 माह का समय मांगा था उसी समय एक राजा की मृत्यु होती है और उनका आत्मा उस मृत शरीर में प्रवेश कर जाता है परकाया प्रवेश ;सभी लोग जानते हैं उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि जब तक वह वापस ना आए, उनकी शरीर की रक्षा की जाए जब राजा जीवित हो गए, खुशी की लहर दौड़ गई ,लेकिन कुछ दिन बाद रानी को एहसास हुआ कि राजा तो बिल्कुल बदल गए हैं उनके आv भाव सबकुछ में परिवर्तन हो गया है विद्वानों को बुलाया गया उनसे पूछा गया ,बहुत सारे लोगों ने उनकी कुंडली देखी और कहा कि राजा तो मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं उनके शरीर में किसी दूसरे की आत्मा प्रवेश कर गई है ,रानी को चिंता हुई उन्होंने बताया कि जब इस आत्मा का प्रयोजन पूर्ण हो जाएगा ,यह शरीर छोड़कर चली जाएगी ,सब से पूछा गया ,सब ने सलाह दी कि जितने भी शरीर जीवित अवस्था में मिले ,उन को नष्ट कर दिया जाए तब यह आत्मा अपना संपूर्ण कार्यकाल /समय इस मृत शरीर में पूर्ण करलेगीजब उनके शिष्यों ने यह बात सुनी सुनी, तो वह भजन वगैरह गाते हुए राजमहल पहुंचे और शंकराचार्य जी को बतायाI उन्होंने यही कहा कि सांसारिक सुख चाहे वह राजा का हो या एक सामान्य व्यक्ति का हो ,अल्पकाल के लिए ही होता है अतः हम अपनी जीवन यात्रा में सुख की अनुभूति करते चलें ,क्योंकि यह हमारी यात्रा अल्पकाल के लिए है IRaj Reflections
जयहिन्द
सभी को सुख और समृद्धि मिले
आज का दिन शुभ हो
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