“A Psalm of Life” (1839)
What the Heart of the Young Man Said to the Psalmist
‘’
विश्व प्रसिद्ध कवि लौन्गफॉलो
की कविता पर आधारित
कुछ करो
(Hindi
Poem-2088/R/20)
“A
Psalm of Life” (1839)
मुझे डराना. छोड़ो
डरना मैंने? छोडदिया
जो सामने मेरे है
सबको अब पहचान लिया
तुम भी जानो
मैं भी जानू
जीवन उड़ते सपनों का भंडार
जो सोचो होता ना !
दुख बनता इसका आधार---1
जीवन यथार्थ भी है
तुम भी देखो
मैं भी देखूं
कब्र कभी ना
लक्ष्यअपना है
पर माटी के
पुतले हम हैं
माटी में मिल जाना है
अजर अमर है आत्मा
भेद इसी का सब ने जाना है------2
सुख दुख अपना लक्ष्य नहीं
ना ही राह सुरीली
कर्म करो
बस कर्म करो
बेहतर कल को
आज करो
थोड़ी दूर सही
थोड़ा बढ़ो
और आगे बढ़ो----3
जीना एक कला है
जीना सबको आता नहीं
समय साथ में सबके हैं
पर राह पे सबने सोचा नहीं
धीरे-2 दिन कटते
कब्र पास में आती है
किसका इन्तजार है तुमको
धीरे-2 डोर फिसलती है
तेरी मेरी करते
खुशियों को. हम, खो बैठे
सपना कब अपना बनते ?
रिश्ते नाते खो बैठे
दिल अपना मजबूत भला
पलभर ही सही
राह मोड़ सकते हैं हम
सबने बात यही कही---4
ली डर हमको बनना है
फॉलो कब तक करना है
पशुओं की तरह हांकते लोग
कभी बने ना ये संयोग
जीवन के युद्ध क्षेत्र में
सीख लिया है हमने जीना
जो करना है अभी करो
डटे हुए हैं खोल के सीना--5
आने वाले पल
को
आने दो
जाने वाले पल
को
जाने दो
कभी करो ना
विश्वास तुम
दूर.करो पहले
अपने गम
जो करना है
अभी करो
कल. का भरोसा
ना करो
कल बीत गया
सो बीत गया
पछतावा ना आने दो
दिल अपना
सोच भी अपनी
ईश्वर साथ में मेरेहैं
कटे जिंदगी प्यार से अपनी---6
नेक बनो
भला, बनो
सीख जरा उनसे लो
अपने कर्मों से दुनिया को
बदल दिया ------
हवा सीख देती है हमको
जब उपवन से गुजरे
माहौल महकता बना दिया ---
सबको देखो बदल दिया----
जो लोग जहां में सफल हुए
मेहनत उनके साथ चली,
आज अभी उनके कर्मों से
जग-जीवन को गति मिली--
भूल गए अपने सुख को
मेहनत गले लगा लिया
दुनिया को देखो
बदल दिया--
हम भी आगे बढ़ सकते हैं
नाम अमर कर सकते हैं
साथी अपने जब
आराम जहां में करते हैं
दिन रात एक कर के
जीवन परिवर्तित कर ते हैं ----
आओ !समय खराब ना करें
आगे बढ़ें और नेक करें
तेरी मेरी बातों से
बात कभी ना बनती है
छोड़ो बेकार की बातों को
बात न इनसे बनती है
देश और दुनिया को
अपनी मेहनत से हम बदलेंगे
मेरा वादा तुमसे है
क्या तुम? वादा नहीं करेंगे ?---7
पदचिन्ह महापुरुषों के
सीखहमें देते हैं
कितने कष्ट साथ में थे
पर प्यार की बातें कहते हैं
जिसने कष्टों को जान लिया
जीवन को वह पहचान लिया
सुख आए चाहे दुख आए
जीवन उसने पार किया
इतना सोचो तो
और देखो तो
लाख खड़े हैं इंतजार में
तुम कुछ ना कर पाए
क्या पाये ; बेकार में
जो होगा होने दो
अब ना पीछे देखो
पहचान लो स्वयं को,
किस्मत अपनी
बदल के रख दो----8
Raj
“A
Psalm of Life” (1839)
What
the Heart of the Young Man Said to the Psalmist
‘’
Tell
me not, in mournful numbers,
__Life
is but an empty dream!
For
the soul is dead that slumbers,
__And
things are not what they seem.
Life
is real! Life is earnest!
__And
the grave is not its goal;
Dust
thou art, to dust returnest,
__Was
not spoken of the soul.
Not
enjoyment, and not sorrow,
__Is
our destined end or way;
But
to act, that each to-morrow
__Find
us farther than to-day.
Art
is long, and Time is fleeting,
__And
our hearts, though stout and brave,
Still,
like muffled drums, are beating
__Funeral
marches to the grave.
In
the world’s broad field of battle,
__In
the bivouac of Life,
Be
not like dumb, driven cattle!
__Be
a hero in the strife!
Trust
no Future, howe’er pleasant!
__Let
the dead Past bury its dead!
Act,—act
in the living Present!
__Heart
within, and God o’erhead!
Lives
of great men all remind us
__We
can make our lives sublime,
And,
departing, leave behind us
__Footprints
on the sands of time;
Footprints,
that perhaps another,
__Sailing
o’er life’s solemn main,
A
forlorn and shipwrecked brother,
__Seeing,
shall take heart again.
Let
us, then, be up and doing,
__With
a heart for any fate;
Still
achieving, still pursuing,
__Learn
to labor and to wait.