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Monday, 25 December 2017
Srajan (E-Magazine): 736---पता नहीं क्यों ? क्या हुआ ?
Srajan (E-Magazine): 736---पता नहीं क्यों ? क्या हुआ ?: आज मन कुछ दुखी दुखी है पता नहीं क्यों ? क्या हुआ ? Az-5/2105 कभी आना यहां , कभी जाना वहाँ , कभी गम आते ,कभी सुख आते सुख-द...
736---पता नहीं क्यों ? क्या हुआ ?
आज मन कुछ दुखी दुखी है पता नहीं
क्यों ? क्या हुआ ?
Az-5/2105
कभी आना यहां ,
कभी जाना वहाँ ,
कभी गम आते
,कभी सुख आते
सुख-दुख की ये
पहचान पुरानी है
जीवन की ये
अजब कहानी है
कभी सपने भी
कभी अपने भी
गम दे जाते यहां
गम का सागर है
जायें तो जाएं कहां
ये किसकी यहां
मनमानी है
जीवन की ये
अजब कहानी है
ये पल दो पल
खुशियों के हैं पल
खुशियों को हम
बाटें यहां
प्यार का ये
बने जहां
ये सौगात पुरानी है
जीवन की अजब कहानी है
(अर्चना राज)
Friday, 22 December 2017
Thursday, 21 December 2017
Tuesday, 19 December 2017
Monday, 18 December 2017
Friday, 15 December 2017
Wednesday, 13 December 2017
Sunday, 26 November 2017
Srajan (E-Magazine): 728----आज का गीता पाठ-10
Srajan (E-Magazine): 728----आज का गीता पाठ-10: आत्मा , अजर , अमर न कभी ये मरती है , इसका काम खत्म होता , नवजीवन धारण करती है 2/60 कर्म करो ,बस कर्म करो , फल की इच्छा कभी...
728----आज का गीता पाठ-10
आत्मा ,अजर ,अमर
न कभी ये मरती है,
इसका काम खत्म होता,
नवजीवन धारण करती है
2/60
कर्म करो ,बस कर्म करो,
फल की इच्छा कभी न करना,
जैसा तेरा कर्म होगा , अर्जुन
अनुरूप उसी के सबकुछ मिलना
2/61
पाक साफ दिल से रहना ,
धर्म की खातिर आगे बढ़ना,
मिटेगा अधर्म ; होगा अर्जुन
प्रकाश पुञ्ज से जगत का खिलना
2/62
कर्म का मिला अधिकार ,(तुझे ) ,
कर्म स्वयं ही करना है,
जैसे तेरे कर्म होगें , अर्जुन
अनुरूप उन्ही के भरना है,
2/63
देखो भीष्म पितामह को,
वचनबद्धता बनी कमजोरी ,
सिद्धान्त प्रिय हैं व्यक्ति महान,
चली ना इन की सीनाजोरी
2/64
द्रुयोंधन जैसा योद्धा बलशाली ,
शातिर दिमाग उसका चलता ,
कटु वचन उनसे कहता ,
नहीं किसी की चलने देता
I2/65
अर्जुन सबसे प्रिय हो तुम ,
असहाय हैरान हैं पितामह ,
नहीं चाहते युद्ध वे बिल्कुल,
ये होता बोलो किसकी शह
2/66
शिक्षा जिनसे तुमने पाई ,
प्यार से तुम्हें सिखलाया ,
आज उन्हीं हाथों में देखो,
विरुद्ध तुम्हारे तरकश आयाI
2/67
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
शेष कल
Saturday, 25 November 2017
Srajan (E-Magazine): 727---आज का गीता पाठ--9
Srajan (E-Magazine): 727---आज का गीता पाठ--9: ‘’जब -2 अत्याचार बढ़े , अधर्म ने जगह बनाई अपनी , दाता भेजा योद्धा तुम जैसे , मिटा अधर्म जगह बना अपनी 2/53 माय...
727---आज का गीता पाठ--9
‘’जब-2 अत्याचार बढ़े,
अधर्म ने जगह बनाई अपनी ,
दाता भेजा योद्धा तुम जैसे ,
मिटा अधर्म जगह बना अपनी
2/53
माया मोह के इस जगत में,
न तेरा कोई, न तुझ से बनता है,
क्षण भंगुर जीवन में तू,
क्यों इठलाता फिरता है
2/53
आज जो तेरे हैं !
भ्रम तूने पाल रखा,
कल को दूर-2 तक,
ना बनेगा तेरा कोई सखा
2/54
वे भी चाहें तब भी,
कुछ कर नहीं सकते ,
सदा को इस दुनिया
में,
वे भी जुड़ नहीं सकटे
2/55
यही रहस्य इस दुनिया में,
समझ से बाहर रहता है ,
तुझको यही समझना होगा,
जो दाता तुझसे कहता है
2/56
कर्म किया किया है जिसने जैसा,
फल उसका निर्धारित है,
कल का कर्म आज का भाग्य,
नियम यही संचालित है
2/57
(बीता हुआ- कल -- कृपया ध्यान दें कर्म के बाद भाग्य है)
जब-2 धर्म की
होगी हानि,
अधर्म बढ़ाता अत्याचार ,
तय सीमा से आगे, अर्जुन
न बढ़ पायेगा अत्याचार
2/58
इसे थामने की ताकत ,
तुम जैसे योद्धा करते हैं ,
तेरी ताकत के आगे , अर्जुन
नतमस्तक सब होते हैं
“””’’
2/59
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
शेष कल
Friday, 24 November 2017
Srajan (E-Magazine): 726----आज का गीता पाठ-8
Srajan (E-Magazine): 726----आज का गीता पाठ-8: द्वितीय अध्याय -- समर्पित है -- मीठी - २ यादो के लिये ---- माँताजी , भाई डा० राजीव कुमार सिंह ,, मित्र - एस० के ० सिह् ...
726----आज का गीता पाठ-8
द्वितीय अध्याय--समर्पित है--मीठी -२ यादो के लिये----
माँताजी , भाई डा० राजीव कुमार सिंह,,मित्र-एस० के ० सिह्
and all those known or unknown ,Who left for heaven
with sweet memories left behind, May Lord Krishna let their soul rest in peace
with heavenly bliss!)
“कौन हो तुम ! पार्थ,
क्या कभी स्वयं को समझा,
जीवन मिला है जीने को,
क्या यही अभी तक बूझा
2/48
कर्त्ता नहीं हो जगत के तुम !,
जो चाहो कर सकते,
निमित्त मात्र उस कर्त्ता के,
वो चाहे तब तक हम जीते
2/49
सत्य मार्ग है दुर्गम भारी ,
सत्य विश्व का है आधार ,
सत्य मार्ग पे चलना तुमको ,
यही है जीवन का सार
2/50
लोग करोड़ों मरते प्रतिदिन,
जन्म पुनः वे पाते हैं
हजार साल का इन्तजार,
योद्धा तुम जैसे आते हैं
2/51
धर्म अधर्म का महायुद्ध ,
जीत धर्म की होनी है,
धर्म की रक्षा तुमको करनी ,
लिखा यही, अब होनी है
2/52
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
Thursday, 23 November 2017
Srajan (E-Magazine): 725----Jeevanpath
Srajan (E-Magazine): 725----Jeevanpath: Whether bird or animal The love here remain with all A-dharma never understand, But speak with words big or tall 4/521 Whereve...
725----Jeevanpath
The
love here remain with all
A-dharma
never understand,
But
speak with words big or tall
4/521
Wherever
bloodshed or carnage we see
Blood
flowing the street
Who
has given this right to--- ;
For
they do and never retreat
4/522
Hypocrisy
we see and understand
The
example is set of truth blind
Confusion
and bewilderment;
Pervading
everywhere we find
4/523
All
life given by the God
Time
write the story left behind
Whole
life is equal and plain
The
fools leave truth behind
4/524
The
confusion and conspiracy
Is
Hatched everyday
The
light part jump upon
Forcefully
they say
4/525
to be continued by archna raj
Tuesday, 21 November 2017
Srajan (E-Magazine): 723---Jeevanpath
Srajan (E-Magazine): 723---Jeevanpath: The shastras (scriptures) like a beacon to him The sacrifice goes with him The truth is his motto Welfare always brings vim to hi...
724----Jeevanpath
What
ever is with him
Or
he sees, comes his way
Always
above happiness and woe
Jealousy
never throws its sway
4/516
He
got or lost ;or in waiting
Nothing
brings his influence
The
race is never behind the reward
Or
Never such things make him tense
4/517
He never
mind
For
what he find
Or
what he lost
Never
make him blind
4/518
The
true dharma always win the heart
The
misery or envy has no place
The
whole world is our home
Can
A -dharma come to replace
4/519
Adharma
never understand
For
he covers him with truth
He
roars like waves or storm
And
crushes all under its foot
4/520
To
be continued by Archna Raj
723---Jeevanpath
The
shastras (scriptures) like a beacon to him
The
sacrifice goes with him
The
truth is his motto
Welfare
always brings vim to him
4/511
The
sacrifice and renunciation of Karmas
Come
from those who understand
The
essence of life removes darkness
The
truth hidden, he understand
4/512
Eat,
drink and be marry
Is
not the life real?
The
man is lost in the mess
Life
with matter, he deal
4/513
One
who controls the lust?
Here,
He understand the sin
He
remains away from it;
Is
not perturbed even by its din
4/514
The
essence of life is revealed
Satisfaction
dances with him
The
contentment also jumps upon
Misery
or woe never reduce his vim
4/515
To
be continued by Archna Raj
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